- “सरकारें आएंगी… सरकारें जाएंगी

अमेरिका से तसव्वुर राणा का प्रत्यार्पण - अमेरिका से ‘तहव्वर राणा’ का प्रत्यर्पण…
सिर्फ़ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं है —
यह उस नए भारत का प्रतीक है,
जिसके पास अब सिर्फ़ आवाज़ नहीं…
बल्कि वैश्विक मंच पर प्रभाव है,
जिसकी बात को अब नज़रअंदाज़ नहीं किया जाता,
बल्कि गंभीरता से सुना और माना जाता है।
वो सपना…
जो हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमारी अनसुनी आवाज़ में खो जाता था।
वो आत्मसम्मान…
जो वर्षों से दबा हुआ था… और कभी विश्व के नक्शे पर उभर नहीं पाया था।
भारत…
जो कभी विकासशील कहलाकर पीछे छोड़ दिया जाता था,
आज वैश्विक निर्णयों की मेज़ पर प्रमुख स्थान पा चुका है।
ये कोई चमत्कार नहीं है…
ये है एक नेतृत्व का परिणाम —
जिसने सिर्फ़ देश को नहीं बदला,
बल्कि दुनिया की भारत को देखने की दृष्टि ही बदल दी।
एक ऐसा नेतृत्व…
जो राष्ट्रहित को सबसे ऊपर रखता है।
जो जब बोलता है… तो विश्व सुनता है।
जो जब निर्णय लेता है… तो विश्व उसका अनुसरण करता है।
नरेंद्र मोदी जी ने यह सिद्ध कर दिया है —
कि जब संकल्प अडिग हो,
नेतृत्व बुलंद हो,
राजनीतिक इच्छाशक्ति प्रबल हो,
और देश के लिए अटूट श्रद्धा हो…
तो कुछ भी असंभव नहीं।
यह प्रत्यर्पण केवल एक अपराधी की वापसी नहीं…
यह उस ताक़त का परिचायक है —
जो भारत को अब केवल एक देश नहीं,
बल्कि एक निर्णायक शक्ति के रूप में स्थापित करता है।
यह परावर्तन नहीं…
यह तिरंगे के मान का,
भारत की अस्मिता के उत्थान का…
और एक साधारण भारतीय के मन में
देश सशक्त हाथों में होने का गर्व है।
आज भारत…
झुकता नहीं,
रुकता नहीं,
थमता नहीं…
“सरकारें आएंगी… सरकारें जाएंगी…
पर देश रहना चाहिए” — इस विचार को…
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने…
वैश्विक मंच पर जीवंत कर दिखाया है।
हमारे यशस्वी, संकल्पशील,
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में —
अब भारत केवल सुनता नहीं…
अब भारत, दुनिया को सुनाता है।