- बनारस की विभत्स घटना किसी को भी डरा देगी।किसी कार्य से बाहर गयी छात्रा घर लौटते समय अपने एक दोस्त से मिलती है।उसके साथ कैफे जाती है और फिर…
लड़का अपने दोस्तों को बुलाता है और फिरο बलात्कार… वे लड़के अपने और दोस्तों को बुलाते हैं और… फिर और… सात दिन तक उस लड़की के साथ अत्याचार होता है।कुल 23 लोग…
कुछ याद आया।यह कोई बिल्कुल ही नई घटना हो ऐसा नहीं है।ऐसा ही तीस साल पहले अजमेर में हुआ था जब सैकड़ों लड़कियां महीनों तक बार बार बलात्कार का शिकार होती रहीं।
ऐसा ही पिछले दिनों राजस्थान में हुआ जहां पांच नाबालिग लड़कियों को महीनों तक ब्लैकमेल कर के शिकार बनाया गया।और भी अनेकों जगह ऐसा हुआ होगा,वे खबरें दब कर रह गईं।
हर जगह एक ही पैटर्न है।एक संगठित गिरोह का कोई एक लड़का किसी लड़की को पकड़ता है।फिर बलात्कार,वीडियो,ब्लैकमेलिंग… फिर एक के पीछे एक कई लड़कियां फंसती जाती हैं।
आप अगर शुतुरमुर्ग की तरह बालू में सर धंसा कर नहीं जी रहे तो जानते होंगे कि यह खेल नया तो नहीं है।
ऐसी घटनाओं पर सभ्य समाज का एक ही स्वर होना चाहिये कि अपराधियों को शीघ्र दण्ड मिले।होना यह चाहिये था कि लोग अपराधियों की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग करते,उन्हें दंडित करने की मांग करते,एनकाउंटर या बुलडोजर की बात होती… आवश्यक है कि हर वह तरीका अपनाया जाय कि ऐसी घटनाएं दुबारा न घटें,अपराधियों का मनोबल टूटे।
लेकिन सोशल मीडिया में यह घटना शुरू से ही दूसरी तरह बताई-दिखाई जाने लगी।स्त्री बनाम पुरुष… बड़े ही शातिराना तरीके से ब्लू ड्रम,और रील बनाने वाले मूर्खों की बात होने लगी। सौरभ राजपूत,अतुल सुभाष,दहेज हत्या और भी बहुत कुछ…
क्यों?वो इसलिए,ताकि किसी भी तरह से लोगों का ध्यान उस पैटर्न की ओर से हटाया जाय जिसके द्वारा देश में बार बार लड़कियां फंसाई जा रही है। उस पर लोगों का ध्यान जाएगा तो पूरे गिरोह का पर्दाफाश होगा।वह बर्बर कबिलाई मानसिकता एक्सपोज होगी जो ऐसे संगठित अपराधों का पोषण करती है।
यह घटना किसी एक अपराधी द्वारा आवेश में किया गया अपराध नहीं है। यह सप्ताह भर चलता रहा है।इसके पीछे पूरा गिरोह होगा।हर तरह से साथ देने वाले लोग होंगे।
और ऐसे गिरोह देश भर में हैं।और यदि उनको बचाने के लिए लोग सोशल मीडिया में बात घुमाने लगे हैं,तो समझिये कि ऐसे गिरोह कितने मजबूत हैं।फेसबुक पर स्त्री-पुरुष की कुल नौटंकी केवल इस गिरोह को बचाने के लिए ही हो रही है।
बनारस की विभत्स घटनावैसे यह बात और है।हर माता पिता को यह पता होना चाहिये कि उसके बच्चे किनके साथ उठ-बैठ रहे हैं।उनके बच्चों के दोस्त कैसे हैं।यदि आप इतना ध्यान नहीं रखते तो कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है।आपके बच्चे यदि रात को किसी दोस्त के साथ हुक्का बार में जा कर नशा करने को सहज मानने लगे हैं,तो फिर यह आपकी पराजय है।अपने बच्चे के साथ होने वाली दुर्घटना के थोड़े जिम्मेवार आप भी हैं।
शांत मन से उक्त बातों पर विचार अवश्य करिएगा।राम राम रहेगी सभी को!