पहले यादव समाज को ब्राह्मणों के विरुद्ध भड़काया, फिर शुभांशु शुक्ला के घर धर्मपत्नी डिम्पल सह मिलने पहुंचे अखिलेश यादव।
परिवार को दी मिशन की सफलता की बधाई
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव रविवार को अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के घर पहुंचे. उन्होंने शुभांशु शुक्ला के Axiom‑4 अंतरिक्ष मिशन में ऐतिहासिक उड़ान की सफलता पर परिवार को बधाई दी और गौरवपूर्ण पल में अपनी शुभकामनाएं व्यक्त कीं. ये मुलाकात शुभांशु शुक्ला के पैतृक आवास पर हुई, जहां अखिलेश और डिंपल ने परिवार के सदस्यों से बातचीत की.
जैसे कि सोशल मीडिया के माध्यम से यह कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव ने तमाम यादव नव युवकों को ब्राह्मणों के खिलाफ भड़काया
कथाकारों को तबला व 50000 रु नगदी दे कर उनका सम्मान किया।
कहा कि कोई भी ब्राह्मणों को अपने घर मत बुलाओ अपने गांव में ब्राह्मणों को मत घुसने दो ब्राह्मणों को एक रुपया दान दक्षिणा मत दो किसी कर्मकांड में ब्राह्मणों को मत बुलाओ
यादव लड़के अखिलेश यादव की बात सुनकर जोश में आ गए दंगा मचा दिए 200 से ज्यादा यादव लड़कों पर मुकदमा दर्ज हो गया 35 के खिलाफ रासुका लग गई
और अगले दिन ही अखिलेश यादव एक ब्राह्मण जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर गए हैं शुभम शुक्ला के घर अपने परिवार के साथ मिलने चले गए
चुकी अब चुनाव नजदीक आ रहे है, हो सकता है अखिलेश यादव को ब्राह्मणों के वोट की याद आ गई हो।
अब वह सारे यादव युवक खुद को कमरा बंद करके कोड़े मार रहे होंगे जो अखिलेश यादव के बहकावे में आकर ब्राह्मण भारत छोड़ो का नारा बुलंद किए थे
बता दे कि एक दिन पहले याने शनिवार को भारत के पंतप्रधान माननीय नरेंद्र मोदीजी ने शुभांशु शुक्ला से बातचीत की थी।
मामला कथाकारों को ले कर शुरू हुआ था। कथाकारों ने फर्जी आधारकार्ड बनवाकर उसपर अपना नाम और सरनेम बदल रखा था। और अलग अलग नाम से दो आधारकार्ड बनवा रखे थे।
कथाकारों को मारने वाले अब जेल के अंदर है।
साथ ही यादव समाज की और से बहकावे में आ कर उपद्रव करने वाले और अशांति फैलाने वाले भी सलाखों के पीछे है।
दोनों कथाकारों पर भी मुकदमा दर्ज हो चुका है।
अब सभी अपराधियों के पास कोर्ट , कचहरी, पुलिस स्टेशन के चक्कर, जमानत, पैसों की , समय की बरबादी और भविष्य की बर्बादी के सिवा कुछ नहीं बचा।
संपादक
जयप्रकाश शुक्ला
नोट लेख का उद्देश्य किसी समाज के भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है, बल्कि समाज को राजनीति का आईना बताना है।
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जय परशुराम