कुंडली में सूर्य-बुध ग्रह की युति से बुधादित्य राजयोग बनता है।
सूर्य के सबसे करीब स्थित ग्रह बुध है और इस वजह से यह ज्यादातर समय अस्त अवस्था में रहता है। साथ ही, बुध देव हमेशा सूर्य से एक भाव आगे या एक भाव पीछे रहते हैं।
ज्योतिष में बुध को पुरुष और नपुसंक ग्रह माना जाता है।
पृथ्वी के 90 दिनों के बराबर बुध ग्रह का एक दिन होता है।
केंद्र त्रिकोण में बुध ग्रह से निर्मित योग को बहुत शुभ माना गया है।
अगर बुध महाराज अपनी राशि, मूल त्रिकोण और मित्र ग्रह की राशि में बैठे होते हैं, तो आपको शुभ फल प्रदान करते हैं। वहीं, नीच राशि और शत्रु राशि में होने पर अशुभ परिणाम देते हैं।
बुध देव का प्रिय रत्न पन्ना है।
करियर में बुध महाराज को लेखन कार्य, साहित्य, पत्रकारिता, सलाहकार, वकील और अकाउंटेंट का प्रतीक माना जाता है।
जब कुंडली में शुक्र और बुध एक साथ विराजमान होते हैं, तो लक्ष्मी नारायण योग बनता है।
उत्तर दिशा के स्वामी बुध देव हैं जिसे कुबेर देवता का स्थान माना गया है।